Raksha Bandhan 2024 Muhurat : रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त, इस समय बांधें बहन भाइयों की कलाई पर राखी !

Raksha Bandhan 2024 Muhurat : रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त, इस समय बांधें बहन भाइयों की कलाई पर राखी
किंवदन्ति के अनुसार सर्वप्रथम सूर्पणखा ने अपने भाई रावण को भद्राकाल में राखी बांधी थी जिसके कारण रावण का पतन हुआ। शनिदेव की बहन भद्रा इस बार रक्षाबंधन पर दोपहर 1 बजकर 31 मिनट तक सभी भाई-बहनों के प्रेम का इम्तिहान लेगी। भद्रा समाप्त होने के बाद ही बहनें अपने भाइयों को रक्षासूत्र बांधें।
रक्षाबंधन इस बार सोमवार 19 अगस्त को है, रक्षाबंधन का पवित्र त्योहार भद्रा रहित अपराह्न व्यापिनी पूर्णिमा में करने का शास्त्रीय विधान है। प्रसिद्ध पंचांगों की गणन अनुसार इस वर्ष 19 अगस्त 2024, सोमवार को दोपहर 1 बजकर 31 मिनट तक भद्रा रहेगी जिसका निवास पाताल में है। धर्मशास्त्र अनुसार 19 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 31 मिनट के बाद रक्षाबंधन का शुभ कार्य करना प्रशस्त होगा। दोपहर बाद भद्रा रहित काल में बहन भाइयों की कलाई पर बांधेंगी राखी - भद्रा का विशेष विचार रक्षाबंधन में किया जाता है, भद्राकाल को हमारे शास्त्रों ने अशुभ एवं त्याज्य माना है।

पंजाब, हरियाणा जम्मू आदि प्रांतों में कहीं-कहीं यह देखने में आया है कि कुछ लोग रक्षाबंधन के दिन प्रातःकाल से ही भद्रा आदि किसी अशुभ समय का विचार न करते हुए रक्षाबंधन मना लेते हैं, जो कि किसी भी रूप में शास्त्र सम्मत नहीं है। गौरतलब है कि केवल अति आवश्यक परिस्थितियों में भद्रा मुख काल को छोड़कर, भद्रा पुच्छ काल में रक्षाबंधन आदि शुभ कार्य करने की आज्ञा धर्मशास्त्रों में दी गई है। भविष्य पुराण के अनुसार भद्रा पुच्छ काल में किए गए कृत्य में सिद्धि और विजय प्राप्त होती है, जबकि भद्रा मुख में कार्य का नाश होता है। इस संदर्भ में भविष्य पुराण का यह श्लोक अक्सर विद्वानों के मुख से कहते सुना जाता है,‘पुच्छे जयावहाः मुखे कार्य विनाशाय’

भद्रा और रक्षाबन्धन के सन्दर्भ में इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि मुहूर्त एवं ज्योतिष के संहिता ग्रंथों में जो भद्रा के मुख को अशुभ और पूंछ को शुभ लिखा गया है और भद्रा की पूंछ में रक्षाबंधन करने की आज्ञा दी गई है, वह केवल आपात स्थिति यानि भद्रा के कारण श्रवण पूर्णिमा न निकल जाए, ऐसी परिथिति में जब अन्य विकल्प उपलब्ध न हो, केवल उसी समय के लिए कहा गया है। तीनों लोकों में विचरण करती है भद्रा - भद्रा तीनों लोकों में विचरण करती है, शास्त्रों के अनुसार स्वर्गलोक में निवास करने वाली भद्रा शुभफलदायक, पाताल लोक में निवास करने वाली भद्रा धन संचय कारक एवं मृत्युलोक अर्थात् पृथ्वी पर निवास करने वाली भद्रा समस्त कार्यों की विनाशक होती है। स्वर्गेभद्रा शुभम्कुरयात, पाताले च धनागमन, मृत्युलोके यदाभद्रा सर्वकार्ये विनाशनी।

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